ऐसे व्यक्ति से दूसरे लोग ही नहीं भगवान भी खुश रहते हैं

Story created by Renu Chouhan

4/09/2024

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चाणक्य नीति में आचार्य ने मनुष्यों के जीवन सही तरीके से जीने की ढेरों बातें लिखी हैं.

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इस नीति में इंसानों के खाने,पीने, रहने, व्यवहार करने आदि तमाम बारे में सही दिशा दिखाई है.

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इस नीति में ही एक श्लोक है "ये तु संवत्सरं पूर्णं नित्यं मौनेन भुज्जते। युगकोटिसहस्त्रं तु स्वर्गलोके महीयते।।"

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इस श्लोक में चाणक्य ने सही तरीके से खाना खाने को उदाहरण के तौर पर बताया है.

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उन्होंने लिखा है कि जो व्यक्ति पूरे वर्ष तक मौन रहकर चुपचाप भोजन करता है, वह एक करोड़ वर्ष तक स्वर्ग में आदर-सम्मान प्राप्त करता है.

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इसे और आसान भाषा में समझे तो जो इंसान अपने धर्म का पालन करते हुए सदाचारपूर्वक श्रम करता है और जो कुछ भी अर्जित करता है उससे संतुष्ट रहता है...


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उससे सभी देवी-देवता प्रसन्न रहते हैं यानी उसे किसी प्रकार के कष्टों का मुख नहीं देखना पड़ता.


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उसी का सभी जगह सम्मान होता है, यहां मौन का अर्थ प्राप्त की स्वीकृति है चुप रहना नहीं.

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