चाणक्य ने बताया कैसे होता है एक-दूसरे का भेद बताने वालों का नाश
Story created by Renu Chouhan
25/08/2024 हमारे जीवन में सिर्फ गिने चुने लोग ही भरोसेमंद होते हैं, हम इन्हीं से अपनी गुप्त बातें या फिर सीक्रेट्स शेयर करते हैं.
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यानी हम बहुत भरोसा करके अपनी बातें किसी से शेयर करते हैं, लेकिन ऐसा अक्सर होता है कि वही व्यक्ति हमें धोखा देता है.
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इसीलिए हमें अपने सीक्रेट किसी से शेयर नहीं करने चाहिए. इस बारे में आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीति में कहा है.
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चाणक्य ने अपनी नीति में एक श्लोक लिखा है " परस्परस्य मर्माणि ये भाषन्ते नराधमा:।त एवं विलयं यान्ति वल्मीकोदरसर्पवत्।।".
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यानी इसे आसान भाषा में समझे तो जो लोग एक-दूसरे के भेदों को प्रकट करते हैं, वे उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे बांबी में फंसकर सांप नष्ट हो जाता है.
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अपमानित करने के विचार से अपने मित्रों के रहस्यों को प्रकट करने वाले उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जिस प्रकार बांबी में घुसा हुआ सांप बाहर नहीं निकल पाता और बांबी के अंदर ही दम घुटने से मर जाता है.
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आचार्य चाणक्य ने अनुसार ऐसे लोग न घर के रहते हैं न घाट के.
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