चाणक्य ने समझाया किसे धन देना चाहिए और किसे नहीं
Story created by Renu Chouhan
06/08/2024 चाणक्य नीति में एक श्लोक है"
वित्तं देहि गुणान्वितेषु मतिमन्नान्यत्र देहि क्वचित्, प्राप्तं वारिनिधेर्जलं घनमुखे माधुर्ययुक्तं सदा। जीवान्स्थावरजङ्गमांश्च सकलान् संजीव्य भूमण्डलम्, भूयः पश्य तदेव कोटिगुणितं गच्छन्तमम्भोनिधिम्।।"
Image Credit: Openart
इस श्लोक के जरिए चाणक्य ने बताया कि मनुष्य को किन लोगों को धन से सहायता करनी चाहिए और किसे नहीं देना चाहिए.
Image Credit: Pixabay
चाणक्य ने कहा बुद्धिमान या अच्छे गुणों से युक्त मनुष्य को ही धन दो, गुणहीनों को धन मत दो.
Image Credit: Openart
उन्होंने समझाया कि समुद्र का खारा पानी बादल के मीठे पानी से मिलकर मीठा हो जाता है और इस संसार में रहने वाले सभी जड़-चेतन, चर और अचर जीवों को जीवन देकर फिर समुद्र में मिल जाता है.
Image Credit: Pixabay
यानी जिस तरह बारिश का पानी लोगों को जीवन देने के बाद फिर समुद्र में जा मिलता है और फिर वही समुद्र से करोड़ गुणा अधिक बादलों को पुन: प्राप्त हो जाता है.
Image Credit: Pixabay
उसी तरह आसान भाषा में चाणक्य ने कहा कि गुणी व्यक्ति को दिया हुआ धन अनेक अच्छे कार्यों में लगता है.
Image Credit: Pixabay
आगे उन्होंने यह भी कहा कि अगर धन अनेक दुगुर्णों से युक्त है, फिर भी गुणी व्यक्ति का साथ पाकर वह निर्दोष हो जाता है - जनोपयोगी हो जाता है.
Image Credit: Pixabay
और देखें
चाणक्य नीति : जो व्यक्ति ये 3 चीज़े बचाएगा, वही बुद्धिमान कहलाएगा
चाणक्य ने बताया असली दोस्त वही जो आपके इस वक्त में दे साथ
चाणक्य नीति के मुताबिक ये लोग होते हैं आपके सच्चे 'शुभ चिंतक'
चाणक्य के मुताबिक ये है 'जहरीले' दोस्तों की पहचान, इनसे रिश्ता कभी न रखें
Click Here