आदियोगी शिव के बारे में 10 खास बातें

आदियोगी शिव के बारे में 10 खास बातें

Image credit: NDTV Byline: Renu Chouhan

शिव की धड़ तक की इस प्रतिमा का नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है, ये दुनिया की सबसे बड़ी 'सबसे विशाल बस्ट' प्रतिमा है.

गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड

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500 टन स्टील से तैयार ये शिव की प्रतिमा 112 फीट ऊंची, 150 फीट लंबी और 25 फीट चौड़ी है.


500 टन स्टील

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आदियोगी के गले में दुनिया की सबसे बड़ी रुद्राक्ष की माला है, इसमें 100,008 रुद्राक्ष लगे हुए हैं.

1 लाख रुद्राक्ष

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यही रुद्राक्ष हर महाशिवरात्रि की रात में भक्तों को दिए जाते हैं, और आदियोगी को नई माला पहनाई जाती है.

नई माला

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आदियोगी की मूर्ति में रुद्राक्ष की माला के अलावा अर्धचंद्र, एक नीम का पत्ता, एक डमरू, धनुष, कुल्हाड़ी और एक घंटी मौजूद है.

प्रतिमा में खास

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प्रतिमा के चारों ओर 612 त्रिशूल लगे हुए हैं, भक्त उस पर काला कपड़ा बांध कर भेंट करते हैं.

 612 त्रिशूल

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हर अमावस्या को यहां मौजूद योगेश्वर लिंग पर पारंपरिक चढ़ावा चढ़ाते हैं और भक्तों में प्रसादम बांटा जाता है.

प्रसादम 

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वीकेंड, पूर्णिया, अमावस्या और महत्वपूर्ण दिनों में यहां 3D लेज़र शो होता है.

लेज़र शो

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आदियोगी को बनाने में ढाई साल लगे. वहीं, योगेश्वर लिंग के चारों तरफ पीतल की फर्श टाइलों पर नक्काशियां की गई हैं.

नक्काशियां

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इसी योगेश्वर लिंग पर दक्षिण की चार भाषाएं तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम में शंभो मंत्र अंकित किए गए हैं.

चार भाषाएं

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आदियोगी शिव की इस प्रतिमा का निर्माण सदगुरु ने करवाया है. ये महाशिवरात्री मैदान, ईशाना विहार, वेल्लियांगिरी फ़ुटहिल्स, कोयंबटूर, तमिलनाडु में स्थित है.

किसने बनवाया

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