कौन थी रानी अवंती बाई लोधी जिनसे 1857 में अंग्रेज भी हारे
Story created by Renu Chouhan
16/08/2024 अवंती बाई लोधी भारत की वो शहीद वीरांगना थीं जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ खूब लड़ीं.
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मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक जमींदार पिता के घर उनका जन्म 16 अगस्त 1831 को हुआ और शादी रामगढ़ रियासत के राजा लक्ष्मण सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह से हुई.
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इस शादी से उनके दो पुत्र भी हुए लेकिन पति विक्रमादित्य की अव्यवस्था की वजह से प्रजा में काम ठीक से नहीं चल रहा था और दोनों बेटे भी नाबालिग थे.
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यही मौका देख अंग्रेज़ों ने उनकी रियासत को हड़पा और रानी अवंती बाई लोधी को रामगढ़ से बाहर निकाल दिया.
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लेकिन रानी ने हार नहीं मानी और अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ी, अपने राज्य और आस-पास के लोगों को एकत्रित कर विद्रोह किया.
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और 23 नवंबर 1857 को खैरी के युध्य में अंग्रेज़ी फौज को हराकर अपना रामगढ़ साम्राज्य वापस लिया. इतना ही नहीं आस-पास मौजूद क्षेत्र गुजरी, रामनगर और बिछिया को भी मुक्त कराया.
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लेकिन वर्ष 1858 में हुए देवहारीगढ़ के युद्ध में रानी अवंती बाई लोधी मारी गईं, लेकिन इससे पहले वो एक पत्र लिखकर गईं.
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इस पत्र में उन्होंने लिखा कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उन्होंने ही विद्रोह के लिए उकसाया, इसीलिए वो निर्दोष हैं. ऐसा करके वो हज़ारों लोगों को अंग्रेज़ों के अमानवीय व्यवहार से बचा गईं.
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बता दें, रानी अवंती लोधी इसी वजह से अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ कर अमर होने वाली पहली महिला शहीद वीरांगना बनीं.
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उनके इस साहस और बलिदान को आज भी कोई भूला नहीं है.
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