कारगिल की लड़ाई के असली 15 हीरो

Story created by Renu Chouhan

26/07/2024

26 जुलाई को पूरा देश कारगिल दिवस के रूप में मना रहा है. इसीलिए यहां जानिए इस युद्ध के हीरो की कहानियां.

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ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव, 18वीं ग्रेनेडियर:  तीन गोलियां लगने के बाद भी टाइगर हिल पर लड़ना जारी रखा. इस वीरता का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें 'परम वीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय- 1/11 गोरखा राइफल्स: शहीद होने से पहले जुबार टॉप और खालुबार हिल पर कब्जा जमाया. उन्हें मरणोपरांत 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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कैप्टन विक्रम बत्रा, 13 जेएके राइफल्स- करगिल युद्ध के दौरान इनका कोडनेम 'शेर शाह' था. उन्होंने महत्वपूर्ण प्वाइंट 5140 पर कब्जा जमाया. लेकिन प्वाइंट 4875 पर कब्जा जमाने के साथ ही 7 जुलाई 1999 को शहीद हो गए. मरणोपरांत 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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राइफलमैन संजय कुमार, 13 जेएके राइफल्स - दुश्नन के बंकर पर हमला कर तीन पाकिस्तानी सैनिकों ढेर कर दिया. तीन गोलियां लगने के बाद भी लड़ाई लड़ते रहे. इस बहादुरी के लिए उन्हें 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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कैप्टन अनुज नैयर, 17वीं जाट बटालियन - टाइगर हिल पर दुश्मन के मोर्चे पर कब्जे के लिए चलाए गए अभियान का नेतृत्व किया. लड़ाई के दौरान 7 जुलाई 1999 को शहीद हुए. उन्हें महावीर चक्र (एमवीसी) से सम्मानित किया गया.

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मेजर राजेश सिंह अधिकारी, 18 ग्रेनिडियर- 18वीं ग्रेनियर बटालियन के कमांडर थे. तोलोलिंग टॉप पर कब्जे की लड़ाई का नेतृत्व किया. कार्रवाई के दौरान 30 मई 1999 को शहीद हुए.

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कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी, 12 बिहार बटालियन- मुश्कोह घाटी में बिरजेन टॉप पर हमले का नेतृत्व किया. नौ दिसंबर 1999 को लड़ाई के दौरान शहीद हो गए.

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नायक दिगेंद्र कुमार, 2 राजपूताना राइफल्स- एक हाथ में गोली लगने के बाद भी दूसरे हाथ में अपनी लाइट मशीनगन से लगातार फायरिंग जारी रखी. इस साहस का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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लेफ्टिनेंट बलवान सिंह, 18 ग्रेनेडियर - 16 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर चोटी तक पहुंचने के लिए एक खतरनाक मार्ग पर 12 घंटे तक अपनी टीम का नेतृत्व किया. बुरी तरह घायल होने के बाद भी टाइगर हिल पर कब्जा जमाया. उन्हें 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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नायक इमलियाकुम एओ, 2 नागा- मशकोह घाटी में अभियान के दौरान असाधारण बहादुरी का प्रदर्शन किया. करगिल युद्ध के दौरान उनके कार्यों के लिए 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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कैप्टन कीशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रम, 12 जेएके लाइट इन्फेंट्री- बाटलिक सेक्टर में प्वाइंट 4812 पर हुई लड़ाई का नेतृत्व किया. इस दौरान एक जुलाई 1999 को शहीद हो गए. मरणोपरांत 'महावीर चक्र' से सम्मानित किए गए.

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कैप्टन नीकेझाकुओ केंगुरुसे, 2 राजपूताना राइफल्स- द्रास सेक्टर में लड़ाई का नेतृत्व किया. 28 जून 1999 को कार्रवाई में शहीद हुए.मरणोपरांत 'महावीर चक्र' से सम्मानित किए गए. उन्हें पहाड़ों पर चढ़ने की महारत हासिल थी.

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मेजर पद्मपाणि आचार्य, 2 राजपूताना राइफल्स- 2 राजपूताना राइफल्स में कंपनी कमांडर थे. पाकिस्तानी गोलाबारी और गोलियों का सामना करते हुए मिशन को पूरा करने के बाद शहीद हो गए. उन्हें मरणोपरांत 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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मेजर सोनम वांगचुकस, लद्दाख स्काउट- चोरबत ला सब सेक्टर में अभियान का नेतृत्व किया.रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोरबत ला दर्रे को सुरक्षित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण काम किया था. उन्हें 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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मेजर विवेक गुप्ता, 2 राजपूताना राइफल्स- द्रास सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ खतरनाक हमले का नेतृत्व कर शहीद होने से पहले दुश्मन के दो बंकरों पर कब्जा जमाया. उन्हें मरणोपरांत 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया.

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