10 महिला स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें भूल गए हम


Story created by Renu Chouhan

14/08/2024


भारत में 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है, इस मौके पर पढ़िए उन 10 महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जिन्हें लोगों ने भुला दिया.

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कल्पना दत्त - 14 साल की उम्र से ही आज़ादी की लड़ाई में कूदीं, इंकलाबी भाषण से स्वतंत्रता सेनानियों के बीच छाईं. राजनीति में भी शामिल हुईं.

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भीकाजा कामा - 1907 में, उन्होंने जर्मनी के स्टटगार्ट में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में भारतीय ध्वज फहराया, यह भारत का प्रथम तिरंगा था. उन्होंने अनाथ लड़कियों के लिए बहुत काम किया. कई आंदोलन किए और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जमकर लड़ीं.






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कनकलता बरना - सिर्फ 17 साल ही उम्र में आज़ादी की लड़ाई में शामिल हुईं. वो असम से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू की गई स्वतंत्रता लड़ाई 'करो या मरो' अभियान में शामिल हुईं.  भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान असम में भारतीय झंडा फहराने के लिए आगे बढ़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई.

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तारा रानी श्रीवास्तव - बिहार के एक छोटे कब्जे से उन्होंने अपने पति के साथ सीवान थाने के सामने स्वतंत्रता जुलूस निकाला. अंग्रेज़ों ने उनपर कई गोलियां बरसाईं, बहुत खून बहा लेकिन झंडा ऊंचा ही रहा. लड़ते हुए ही उनकी मृत्यु हो गई.

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मातंगिनी हाज़रा - अंग्रेज़ के खिलाफ आज़ादी के लिए उन्होंने बहुत से लोगों को एकजुट किया. अंग्रेज़ों को इतना डर था कि उन्होंने मातंगिनी की गोली मारकर हत्या करवा दी.

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वेलु नचियार - रानी वेलु नचियार भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली पहली भारतीय रानी थी.  उन्हें तमिलनाडु में ‘वीरमंगई' नाम से भी जाना जाता है.

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लक्ष्मी सहगल - पेशे से डॉक्टर लक्ष्मी सहगल आज़ाद हिंद फौज की अधिकारी और आज़ाद हिंद सरकार में महिला मामलों की मंत्री थीं. वे आजाद हिन्द फ़ौज की ‘रानी लक्ष्मी रेजिमेन्ट' की कमांडर थीं.

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कमलादेवी चटोपाध्याय - ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार होने वाली वो पहली भारतीय महिला थीं. वो विधानसभा के लिए पहली महिला उम्मीदवार भी थीं. उन्हें सामाजिक सेवा के लिए पद्म भूषण और मैग्ससे से सम्मानित किया गया था.

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बेग़म हज़रत महल - 1857 में दौरान शुरू हुई आज़ादी की लड़ाई में बेगम हजरत निर्णायक विद्रोहियों में से एक थीं.

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मुलमती - स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल की मां थीं, मुलमती. जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने मैनपुरी षड़यंत्र और काकोरी षड़यंत्र में फांसी की सज़ा दी.

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