तिरंगे की कहानी: आज़ादी से पहले तक 5 बार बदले झंडे, फिर आया तिरंगा
Story created by Renu Chouhan
14/08/2024
15 अगस्त का मौका है इसीलिए आपको तिरंगे की पूरी कहानी के बारे में मालूम होना चाहिए. बता दें कि साल 1906 से 1947 तक, 6 बार ध्वज बनाए गए.
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1. कलकत्ता ध्वज (1906) - इसे सचिंद्र प्रसाद बोस और हेमचंद्र कानूनगो ने डिज़ाइन किया था. इस झंडे में हरा, पीला और लाल रंग की तीन क्षैतिज पट्टियां थीं और इसमें हरे रंग की पट्टी पर आठ सफेद कमल बने हुए थे.
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पीली पट्टी पर देवनागरी लिपि में 'वंदे मातरम' लिखा था और लाल पट्टी पर आधा चांद और सूर्य का निशान बना हुआ था.
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2. बर्लिन कमेटी फ्लैग (1907) - इसे भीकाजी कामा ने डिजाइन किया था. इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम का पहला ध्वज माना जाता है.
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यह झंडा केसरिया, पीले और हरे रंग से बना हुआ था. इस पर चांद और सूरज बने हुए थे, जो हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक थे.
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भीकाजी कामा ने इस झंडे को पहली बार जर्मनी के स्टटगर्ट में आयोजित इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में 22 अगस्त 1907 को फहराया था.
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3. दी होम रूल मूवमेंट का झंडा (1917) - इसे एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने डिज़ाइन किया था.
इस झंडे में ब्रिटेन का राष्ट्रीय झंडा यूनियन जैक और सात तारे बने हुए थे. यह स्वशासन की मांग का प्रतीक था.
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इस झंडे पर तारों को सप्तर्षि तारामंडल की तरह सजाया गया था. इसके ऊपरी हिस्से पर एक अर्धचंद्र और तारा बना हुआ था.
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4. बेजवाड़ा झंडा (1921) - इसे पिंगली वेंकैया ने डिज़ाइन किया था. इस झंडे में लाल, हरे और सफेद रंग की तीन क्षैतिज पट्टियां थीं. इसे बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में महात्मा गांधी को सौंपा गया था.
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महात्मा गांधी ने झंडे में आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में चरखा जोड़ने का सुझाव दिया था.
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5. स्वराज का झंडा (1931) - इसे भी पिंगली वेंकैया ने ही डिज़ाइन किया था. इस झंडे के बीच में चरखा बना हुआ था.
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसे अपने आधिकारिक झंडे के रूप में स्वीकार किया था. इसे 31 अगस्त 1931 को स्वीकार किया गया था. चरखा, महात्मा गांधी के भारत की आर्थिक आजादी के विचार का प्रतीक था.
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6. भारतीय तिरंगा (1947)- ये भारत का आखिरी और फाइनल तिरंगा था जिसे पिंगली वेंकैया ने ही डिज़ाइन किया था.
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यह केसरिया, सफेद और हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियों से बना था. इसके बीच में अशोक चक्र था. इसे संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को आजाद भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया था.
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किसी धर्म से जुड़े होने के आरोपों से बचने के लिए चरखे को हटाकर अशोक चक्र लगा दिया गया. यह चक्र धर्म के विधि चक्र का प्रतीक है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को पहली बार तिरंगा फहराया था.
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