Byline Renu Chouhan
 29/08/2024 राजा-महाराजा अपने सैनिकों की भर्ती कैसे करते थे?
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 पहले समय में सेना के बलबूते ही युद्ध हारा और जीता जाता था, जिस राजा की जितनी सेना वो उतना बलशाली.
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 लेकिन आपने सोचा है कि आखिर इन हज़ारों की संख्या में सेना की भर्ती कैसे की जाती थी?
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 इसका जवाब हमें मिला सतीश चंद्र की किताब 'मध्यकालीन भारत' में, जहां उन्होंने मुगलों की नाक में दम करने वाले राजा के सैनिकों की भर्ती के बारे में बताया.
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 इस राजा का नाम है शेरशाह सूरी, जिसने अपने साम्राज्य के प्रशासन के लिए एक मज़बूत सेना तैयार की.
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 इस राजा ने कबीलाई सरदारों के अधीन कबीलाई फौज खड़ी करने के चलन को त्यागा. यानी पहले गुटों के पास सेना होती थी और हर गुट के अलग सरदार होते थे.
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 इसके बजाय शेरशाह ने सैनिकों की सीधी भर्ती करने का सिलसिला शुरू किया.
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 यानी वो अपनी सेना खुद चुनता था और कुछ नियमों का पालन कर उन्हें नियुक्त करता था.
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 जैसे हर सेना के चरित्र की जांच की जाती थी और उसका चेहरा लिखा जाता था. यानी माथे पर तिल,गाल पर निशान, बड़ी आखें आदि.
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 इसी के साथ उस सेना के घोड़े को शाही निशान से दागा जाता था, ताकि उनकी जगह घटिया नस्ल के घोड़े न लाए जा सकें.
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 ऐसा करके शेरशाह ने अपने साथ 1,50,000 सवार, 25,000 तोड़ीदार बंदूकों या तीर-कमान से लैस पैदल सेना, 5 हज़ार हाथी और तोपों का एक समूह बनाया.
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 इतना ही नहीं इन सभी सौनिकों के लिए शेरशाह ने अपने साम्राज्य के विभिन्न भागों में छावनियां बनाईं और हर जगह भारी दस्ता नियुक्त किया.
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