बाबर की वो युद्ध तकनीक, जो हिंदुस्तान पर कब्जा करने के लिए अपनाई
Story created by Renu Chouhan
25/07/2024 20 अप्रैल 1526, ये वो दिन था जब बाबर और इब्राहिम लोदी एक-दूसरे के आमने-सामने थे.
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इस दौरान बाबर का पहली बार इब्राहिम लोदी से पानीपत में सामना हुआ, और उसे पता चला कि लोदी के पास 1 लाख सैनिक और 1 हज़ार हाथी थे.
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वहीं, बाबर सिर्फ 10 से 12 हज़ार सैनिक लेकर ही हिंदुस्तान आया था, लेकिन पंजाब की सेना ने उससे हाथ मिलाया और ऐसे संख्या बढ़ी.
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बावजूद इब्राहिम की सेना के मुकाबले कम ही थी, ऐसे में बाबर ने 'उस्मानी (रूमी)' तरीका अपनाया, और जीत गया.
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इस तरीके में सेना के एक मजबूत भाग को पानीपत में टिकाया, दूसरे भाग को पेड़ों की डालियों और टहनियों से भरी एक खाई के जरिए सुरक्षा प्रदान की.
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सामने की ओर गाड़ियों की एक बड़ी संख्या को आपस में बांधा, ऐसा करने से एक प्रतिरक्षक दीवार बन गई.
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हर दो गाड़ियों के बीच में ब्रेस्टवर्क्स बनाएं जिसपर से सैनिक अपनी बंदूकें टिकाकर गोली चला सकते थे.
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बाबर ने कम सैनिकों का ऐसा जाल बिछाया कि वो पानीपत की लड़ाई जीता, उन्होंने इस तरीके को 'उस्मानी (रूमी)' बताया.
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क्योंकि ईरान के शाह इस्माइल के खिलाफ उस्मानियों ने इस तरीके का इस्तेमाल किया था.
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और बाबर ने उत्साद अली और मुस्तफा नामक दो उस्मानी उस्तादों से तोपचियों की सेवा ली थी.
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