गिरते हुए तारे के बारे में सबसे बड़ा झूठ क्या है?
Story created by Renu Chouhan
23/08/2024
कुछ-कुछ होता है फिल्म का डायलॉग है कि टूटते हुए तारे से कुछ भी मांगो वो विश पूरी हो जाती है! ये फिल्म ही नहीं बहुत सी जगह टूटते हुए तारे को लेकर कई कहानियां मौजूद हैं.
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लेकिन अगर आपको बताया जाए कि वो टूटता हुआ तारा असल में तारा होता ही नहीं है तो? जी हां, आसमान में चमकने वाली हर चीज़ तारा नहीं होती.
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दरअसल, हमें आसमान में चमकने वाली हर चीज़ स्टार लगती है. लेकिन आसमान में तारों के अलावा और भी बहुत कुछ है.
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जैसे बड़े-बड़े पत्थर और बहुत सारी डस्ट यानी धूल, आसमान में मौजूद है, इन्हें साइंस की भाषा में मीटीऑराइट (उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह) कहते हैं.
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हमारे सौरमंडल में हज़ारों उल्कापिंड हमेशा घूमते रहते हैं, और जब ये धरती के करीब आ जाते हैं तब ये पृथ्वी पर मौजूद ग्रैवीटी (गुरुत्वाकर्षण) की वजह से आपस में टकराते हैं.
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इसी टकराव की वजह से इन उल्कापिंडों का तापमान बढ़ता है और इनमें से चिंगारी या आग निकलती है.
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और इसी तेज़ी से भागते हुए जलते हुए उल्कापिंड को हम गिरता हुआ तारा समझ लेते हैं. और कई बार ये उल्कापिंड ज्यादा मात्रा में एक साथ गिरते हैं, इस घटना को उल्का वर्षा कहा जाता है.
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इसी के साथ आपको बता दें, आसमान से कभी तारे गिर नहीं सकते क्योंकि पृथ्वी का सबसे करीबी तारा सूर्य ही है.
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पृथ्वी में इतनी गुरुत्वाकर्षण क्षमता नहीं है कि वह तारे को गिरा सके, क्योंकि तारे पृथ्वी से लाखों गुणा बड़े होते हैं.
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