बाबर ने भारत में कई लड़ाइयां जीतीं, वो भारत में नई युद्ध शैली लेकर आया.
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भारतीय राजाओं के पास बारूद का ज्ञान था, लेकिन बाबर ने दिखाया कि तोपखाना और सवार सेना को बैंलेस कर हर लड़ाई जीती जा सकती है.
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बाबर ने भारत में बारूद और तोप को तेज़ी से लोकप्रिय किया और देखते ही देखते कई भारतीय छोटे रजवाड़ों का सफाया कर दिया.
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मध्यकालीन भारत किताब में बाबर से जुड़ा एक किस्सा बताया गया है कि वह अपने सैनिकों संग कैसा व्यवहार करता था.
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एक बार कड़कड़ाती ठंड में बाबर काबुल लौट रहा था. बर्फ इतनी गहरी थी कि घोड़े उसमें फंस जाते और सैनिक दलों को बर्फ को कूटना पड़ता जिससे कि घोड़े गुजर सकें.
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तो बिना हिचक बाबर भी इस कमरतोड़ काम में जुट गया. यानी वह हमेशा अपने सैनिकों के साथ मुसीबतें झेलने को तैयार रहता था.
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सेना के साथ अपने इसी व्यवहार के चलते बाबर ने बहुत कम सैनिकों के साथ ही पानीपत की लड़ाई भी जीती.
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इसी के साथ बाबर अपने सैनिकों को अप-टू-डेट भी रखता था. यानी नई युद्ध की शैलियों से परिचित कराता था.
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