मुगलों के इस दुश्मन से जुड़ा है 'सराय काले खां' का नाम, जानिए कौन थे बिरसा मुंडा?
Story created by Renu Chouhan
15/11/2024
दिल्ली के सराय काले खां का नाम अब बदल कर बिरसा मंडा चौक रख दिया गया है.
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लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर सराय काले खां कौन थे और क्यों इस जगह का नाम बदलकर बिरसा मुंडा ही रखा गया? अगर इसका जवाब आपको नहीं पता तो चलिए बताते हैं.
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पहले समझिए कि सराय का अर्थ क्या है, ये शब्द शेरशाह सूरी के समय से प्रचलित है. इसी राजा ने हिंदुस्तान और उससे सटे पड़ोसी देशों में सबसे ज्यादा सड़के बनवाईं.
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ये काम सूरी साम्राज्य के इस राजा ने अपना व्यापार बढ़ाने के लिए किया था, और इसी के साथ सड़कों की कुछ मीलों की दूरी पर व्यापारियों और यात्रियों के आराम करने के लिए सराय बनाए.
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शेरशाह सूरी ने एक या दो नहीं बल्कि 16वीं शताब्दी में 1700 सराय बनवाए थे.
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आप सराय का मतलब रेस्ट हाउस या फिर ठहरने की जगह भी समझ सकते हैं.
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वहीं, काले खां एक सूफी संत थे, जो सूफियों के साथ इन सराय में ठहरा करते थे. जहां ये संत रुका करते थे, उसका नाम आस-पास के गांव वाले सराय काले खां से बुलाने लगे.
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क्योंकि इन सरायों का कोई नाम नहीं होता था, ये प्रसिद्ध व्यक्ति, आस-पास के गांव या फिर सड़क के नाम से प्रचलित हुआ करते थे.
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अब जानिए कि बिरसा मुंडा कौन थे, जिनका नाम अब इस जगह का रखा गया.
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दरअसल बिरसा मुंडा भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने आज़ादी में बड़ी भूमिका निभाई. खासकर, ब्रिटिश शासन के खिलाफ वे आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़े.
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आज उन्हीं की 150वीं जयंती के अवसर पर उन्हें सम्मान देते हुए, इस जगह का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया.
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वहीं, शेरशाह सूरी मुगलों का दुश्मन कैसे था और कैसे उसने मुगल शासक हुमायूं को बीच युद्ध मैदान से दौड़ाया, इसके बारे में आप आगे दिए लिंक्स में पढ़ सकते हैं.
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