हर 12 साल बाद प्रयागराज में ही क्यों लगता है महाकुंभ?

Story created by Renu Chouhan

15/12/2024

आप जानते ही होंगे कि 13 जनवरी 2025 से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का मेला लगने वाला है.

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दुनिया के इस बड़े आध्यात्मिक मेले यानी महाकुंभ की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं.

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिरकार हर 12 साल बाद महाकुंभ का मेला क्यों लगता है, और प्रयागराज में ही क्यों लगता है?

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चलिए आपको इसका जवाब बताते हैं. दरअसल, महाकुंभ का संबंध समुद्र मंथन में निकले अमृत के कलश से है.

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पौराणिक कथाओं के मुताबिक देवताओं और असुरों से बीच समुद्र मंथन हुआ था, इस दौरान समुद्र से एक अमृत कलश निकला था.

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इस अमृत से भरे कलश के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ, यह युद्ध 12 दिनों तक चला. इसी दौरान अमृत की 12 बूंदें 12 स्थानों पर गिरीं, जिनमें  से 4 बूंद धरती पर गिरीं.

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इन्हीं 4 जगहों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) पर कुंभ का मेला लगता है और महाकुंभ 12 साल बाद लगता है.

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क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक गुरु बृहस्पति हर साल अलग-अलग राशि में जाते हैं और ऐसे में एक राशि में दोबारा आने में उन्हें 12 सालों का समय लग जाता है.

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वहीं, ज्योतिषीय गणना के आधार पर सूर्य और बृहस्पति ग्रह की स्थिति के मुताबिक महाकुंभ मेले का स्थान निर्धारित किया जाता है. जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में होते हैं और उसी समय सूर्य राशि मकर राशि में गोचर करते हैं तो महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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