कभी भी खुद की तारीफ क्यों नहीं करनी चाहिए?

Story created by Renu Chouhan

16/09/2024

आपने अक्सर ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो अपनी तारीफ खुद ही करते हैं यानी अपनी बढ़ाई खुद ही करते हैं.

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लेकिन ऐसे लोगों का ज्यादातर दूसरे लोग पीठ पीछे मज़ाक ही बनाते हैं.

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क्योंकि अपने मुंह से खुद की तारीफ लोग दूसरों के सामने सबसे आगे या फिर अव्वल जताने के लिए ही करते हैं.

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लेकिन चाणक्य ने इसी काम को करने से मना किया है. उन्होंने चाणक्य नीति में लिखा है कि "आत्मा न स्तोतव्य:".

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यानी अपने मुख से अपनी प्रशंसा नहीं करनी चाहिए.

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इसके बजाय आपको क्या करना चाहिए चाणक्य ने आगे बताया कि अपनी प्रशंसा के स्थान पर ऐसे आचरण की आवश्यकता है जिससे व्यक्ति की स्वयं प्रशंसा हो.

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जो व्यक्ति श्रोताओं के सामने अपनी प्रशंसा करता है, लोग उसे सुनकर व्यंग्य से मुस्कराते हैं.

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सज्जन व्यक्ति आत्मप्रशंसा से दूर रहते हैं.

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इसीलिए ऐसे काम करने चाहिए जिससे दूसरे लोग आपकी तारीफ करें, न कि आपको खुद अपना बखान करने की आवश्यकता पड़े.

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