Story created by Renu Chouhan

दुश्मन से भी खतरनाक कौन होता है?

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अगर आपसे पूछा जाए कि आपको दुश्मन या शत्रु से भी ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला कौन हो सकता है?

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इस सवाल के सभी लोगों के अलग-अलग जवाब हो सकते हैं.

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लेकिन एक जवाब आपको चाणक्य की लिखी हुई उनकी नीति में भी मिलेगा.


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चाणक्य नीति में एक वाक्य है "शत्रोरपि विशिष्यते व्याधि:".


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इसका अर्थ है कि शरीर के रोग शत्रु से भी अधिक हानिकारक होते हैं.


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रोग के कारण मनुष्य के शरीर पर आठों प्रहर आक्रमण की सी स्थिति बनी रहती है.


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मनुष्य शत्रु के आक्रमण से भयभीत रहता हैं परंतु व्याधि तो शरीर के अंदर रहने वाला शत्रु है.जो जीवन पर हर समय आक्रमण करता करता है.


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रोगों के कारण मनुष्य के प्राण, धन और उसके शरीर का विनाश होता है.


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उसका शरीर कमज़ोर हो जाता है. दवाइयों पर धन नष्ट होता है, इसलिए रोग शत्रु की अपेक्षा अधिक हानिकारक होता है.

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