Story created by Renu Chouhan
कैसे बेटे से घर स्वर्ग बन जाता है?
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चाणक्य नीति में एक वाक्य है "पुत्रे गुणवति कुटुम्बिन: स्वर्ग". यानी गुणवान् पुत्र से परिवार स्वर्ग बन जाता है.
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स्वर्ग-प्राप्ति का अर्थ है सुखों की प्राप्ति होना. पिता के लिए सबसे बड़ा सुख पुत्र का गुणवान और सदाचारी होना है.
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इससे परिवार में सुख और शांति के साथ-साथ समाज में सम्मान भी बढ़ता है.
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पुत्र का गुणवान और सदाचारी होना पिता की शिक्षाओं पर ही निर्भर करता है.
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इसीलिए पिता को चाहिए वह अपने पुत्र को विद्वान, गुणवान औऱ सदाचारी बनाए.
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चाणक्य ने एक और वाक्य में पुत्र के बारे में ही बताया कि "पुत्रा विद्यानां पारं गमयितव्या".
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यानी पुत्र को सब विद्याओं में पारंगत बनाना चाहिए. पिता का कर्तव्य है कि वह संतान को विद्वान् और गुणवान् बनाए.
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कहा गया है कि जो पिता अपनी संतान को शिक्षित नहीं बनाता, वह संतान का शत्रु होता है.
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वह सिर्फ संतान का ही नहीं बल्कि अपना भी शत्रु होता है. इसीलिए पिता का कर्तव्य है कि वह अपने पुत्रों को विद्याओं में पारंगत बनाए.
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