Story created by Renu Chouhan
कैसा बेटा पिता की संपत्ति का अधिकारी होता है?
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चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि आखिर कैसा बेटा पिता की संपत्ति का अधिकारी होता है.
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चाणक्य नीति में एक वाक्य है "पितृवशानुवर्ती पुत्र:".
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इसमें चाणक्य ने बताया कि पुत्र को पिता की इच्छा के अनुसार चलने वाला होना चाहिए.
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उन्होंने आगे लिखा कि पुत्र का कर्तव्य है कि पिता के अनुभवों से लाभ उठाए.
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पिता की आज्ञा के अनुसार कार्य करने से ही वह पिता की संपत्ति का अधिकारी हो जाता है.
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परिवार में सुख और शांति बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है कि पुत्र पिता की आज्ञा के अनुरूप ही कार्य करे.
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वहीं, चाणक्य ने अपनी नीति में कुछ वाक्य मां के लिए भी लिखे जिसमें से एक है "सर्वावस्थासु माता भर्तव्या".
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चाणक्य ने इसमें लिखा कि प्रत्येक अवस्था में माता का भरण-पोषण करना चाहिए.
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यानी माता मनुष्य को जन्म देनेवाली होती है, इसलिए मनुष्य का कर्तव्य है कि वह हर प्रकार से प्रत्येक स्थिति में माता का सम्मान करे.
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इसी के साथ माता के भरण-पोषण का ध्यान रखे.
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