Story created by Renu Chouhan
ऐसा गुप्त धन जिसे चोर भी नहीं चुरा सकते
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क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आखिर ऐसा गुप्त धन क्या हो सकता है?
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यानी जिसे चोर भी न चुरा पाए और वो इच्छा के मुताबिक दिनों दिन बढ़ता जाए!
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चाणक्य ने अपनी नीति में एक गुप्त धन के बारे में बताया है जिसे चोर डाकू आदि कोई नहीं चुरा सकता.
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चाणक्य नीति एक वाक्य है "विद्या चौरेरपि न ग्राह्या, विद्या ख्यापिता ख्यााति:".
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आचार्य ने एस वाक्य में बताया कि विद्या मनुष्य का ऐसा गुप्त धन है जिसे चोर भी नहीं चुरा सकते.
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इसीलिए विद्या रूपी धन को सभी धनों में श्रेष्ट माना गया है. क्योंकि इसी से मनुष्य के यश का विस्तार होता है.
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विद्वान व्यक्ति जहां भी जाता है उसका सम्मान किया जाता है.
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जिस प्रकार दीपक का प्रकाश छिपा नहीं रह सकता, उसी प्रकार विद्वान व्यक्ति की योग्या भी अपने आप प्रकट हो जाती है.
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जिस प्रकार ज्ञानी मनुष्य सुपात्र व्यक्ति को दान करने से पुण्य और यश का भागी होता है, इसी प्रकार विद्वान व्यक्ति भी विद्या का दान देकर अपने यश की वृद्धि करता है.
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