राधा अष्‍टमी का महत्‍व, इसे कैसे मनाते हैं? 

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Story created by: Arti Mishra

जन्‍माष्‍टमी के बाद आती है राधा अष्‍टमी. यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.

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 राधाष्टमी के दिन ही राधा रानी का प्राकट्य हुआ था. इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है. मथुरा-वृंदावन में इस पर्व का विशेष महत्‍व है. 

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जन्‍माष्‍टमी की ही तरह राधाष्टमी पर व्रत रखा जाता है. मान्‍यता है कि इससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. पापों का नाश होता है. 

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इस साल भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि 30 अगस्त रात 10.46 बजे लगेगी और 31 अगस्त देर रात 12.57 बजे समाप्त होगी.

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उदया तिथि के अनुसार, 31 अगस्त को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन मध्याह्न काल पूजा का विशेष महत्व है. 

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राधाष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अगस्‍त को 10.42 बजे से दोपहर 1.14 बजे तक का रहेगा.

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राधाष्टमी को लेकर कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने व राधा रानी का पूजन करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं. 

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