हिंदू धर्म में कलावा का विशेष महत्व है. इसे पूजा व शुभ कार्यों के समय बांधा जाता है. लाल व पीला रंग का यह धागा कल्याणकारी होता है.
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कलावा बांधने से सौभाग्य में वृद्धि होती है. इसे पंडित जी से बंधवाया जाता है पर घर पर पूजा के दौरान स्वयं भी इसे बांधा जा सकता है.
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इसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. यह पुरुषों के दाएं हाथ और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में बांधा जाता है. लेकिन कन्याओं को यह किस हाथ में बांधना चाहिए?
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हिंदू धर्म के अनुसार, कुंवारी लड़कियों को कलावा सदैव सीधे हाथ में ही बांधना चाहिए.
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पुरुष, महिला अथवा बच्चे, सभी को कलावा बंधवाते समय मुट्ठी बंद रखनी चाहिए. मुट्ठी के अंदर अनाज या दक्षिणा रखनी चाहिए.
कलावा जब कलाई पर बांध दिया जाता है तो मुट्ठी में बंद अनाज अथवा दक्षिणा को पुरोहित जी को दे देना चाहिए.
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कलावा बांधते समय यह मंत्र बोला जाता है: ''येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल"
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शास्त्रों के अनुसार, हाथ में कलावा 21 दिन से ज्यादा नहीं बांधना चाहिए. जिस कलावा का रंग उतर जाए, उसे नहीं पहनना चाहिए.