Story created by Renu Chouhan
कैसे लोगों के पास लक्ष्मी नहीं आती?
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ये बात आपको भी पता है लक्ष्मी यानी धन काफी चंचल होता है, वो हर किसी के पास नहीं टिकता है.
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कुछ ऐसा ही चाणक्य ने अपनी नीति में भी बताया है. चाणक्य नीति में एक वाक्य है "न चाशापरै: श्री: सह तिष्ठति".
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आचार्य ने अपने इस वाक्य में बताया कि केवल आशा में लगे पुरुष को लक्ष्मी नहीं मिलती.
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यानी केवल आशा के उतार-चढ़ाव में रहने वाला व्यक्ति श्रीहीन रहता है.
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चाणक्य ने बताया कि जो कर्तव्य की उपेक्षा करके केवल आशा के बंधन में बंधे रहते हैं उन्हें निराशा के अतिरिक्त कुछ प्राप्त नहीं होता.
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मनुष्य को चाहिए कि वह सदैव उत्साह से प्रसन्न रहता हुआ कर्तव्य का पालन करे. इसी से धन की प्राप्ति होती है.
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इसे आम बोलचाल की भाषा में समझे तो धन बैठकर इंतजार या उम्मीद करने से नहीं आता, बल्कि काम करना पड़ता है.
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मेहनत करके ही धन को पाया जा सकता है. सिर्फ उम्मीद में इंतजार कर रहे लोगों को लक्ष्मी नहीं मिलती.
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