गणेश जी की 4 भुजाएं किस बात का संकेत हैं?

Story Created By: Arti Mishra

गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है. गणपति को चार भुजाधारी कहा गया है, जो विघ्‍नों को हर लेते हैं.

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गणेश जी के एक हाथ में अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे हाथ में मोदक व चौथे में आशीर्वाद मुद्रा है. जानें उनकी चार भुजाओं के क्‍या संकेत हैं-

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गणेश जी अपनी पहली भुजा में अंकुश लिए हुए हैं. यह कामनाओं पर संयम रखने का सूचक कहा गया है.

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गणपति की दूसरी भुजा में पाश है. यह इस बात का प्रतीक है कि हर व्यक्ति को अपने आचरण व व्यवहार में संयम और नियंत्रण रखना चाहिए.

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इससे जीवन का संतुलन बना रहता है. दरअसल पाश नियंत्रण, संयम और दण्ड का प्रतीक कहा गया है.

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गणेश जी के तीसरी भुजा में मोदक है. मोदक का अर्थ, जो मोद यानी आनंद देता है, जिससे आनंद प्राप्त हो, संतोष हो.

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जैसे मोदक को धीरे-धीरे खाने पर उसका स्वाद और मिठास अधिक आनंद देता है, अंत में मोदक खत्म होने पर आप तृप्त हो जाते हैं.

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ठीक उसी तरह बाहरी ज्ञान व्यक्ति को आनंद नहीं देता बल्कि ज्ञान की गहराई में ही सुख और सफलता की मिठास छुपी होती है.

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चौथी भुजा भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा है. जो अपने कर्म फलरूपी मोदक को भगवान के हाथ में रख देता है उसे प्रभु आशीर्वाद देते हैं.

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