Story created by Renu Chouhan
कभी नहीं करनी चाहिए इस 1 शख्स की बुराई
Image Credit: Openart
चाणक्य ने अपनी नीति में कई ज्ञान की बाते कहीं हैं, जिनमें से एक ये है कि हमें किसकी बुराई कभी नहीं करनी चाहिए.
Image Credit: Unsplash
जी हां, चाणक्य नीति में एक ऐसे शख्स के बारे में बताया गया है जिसकी बुराई करने वालों को चाणक्य ने मूर्ख कहा है.
Image Credit: Unsplash
चाणक्य नीति में एक वाक्य है "न मीमांस्या गुरव:".
Image Credit: Unsplash
इसका अर्थ चाणक्य ने लिखा है कि गुरुजनों की आलोचना नहीं करनी चाहिए.
Image Credit: Unsplash
मनुष्य को चाहिए कि अपने गुरु की कभी आलोचना न करे. गुरु शिष्य का सदैव हित चाहते हैं.
Image Credit: Unsplash
गुरु कभी भी अपने शिष्यों का अहित नहीं चाहते और न ही करते हैं.
Image Credit: Unsplash
इसीलिए यदि उनके हृदय की भावना को व्यक्ति न समझ सके तो भी उनकी आलोचना नहीं करनी चाहिए.
Image Credit: Unsplash
आलोचना का अर्थ व्यक्ति के दोषों को ढूंढना है. और अपने गुरुजनों में दोष ढूंढना मनुष्य की मूर्खता है.
और देखें
हमें हिचकी क्यों आती है?
1 लकड़ी का कटोरा और बूढ़ा आदमी
घमंडी लाल गुलाब का फूल
ज्यादा सोचने के क्या नुकसान होता है?
Click Here