Story created by Renu Chouhan

कभी नहीं करनी चाहिए  इस 1 शख्स की बुराई

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चाणक्य ने अपनी नीति में कई ज्ञान की बाते कहीं हैं, जिनमें से एक ये है कि हमें किसकी बुराई कभी नहीं करनी चाहिए.

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जी हां, चाणक्य नीति में एक ऐसे शख्स के बारे में बताया गया है जिसकी बुराई करने वालों को चाणक्य ने मूर्ख कहा है.

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चाणक्य नीति में एक वाक्य है "न मीमांस्या गुरव:".


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इसका अर्थ चाणक्य ने लिखा है कि गुरुजनों की आलोचना नहीं करनी चाहिए.


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मनुष्य को चाहिए कि अपने गुरु की कभी आलोचना न करे. गुरु शिष्य का सदैव हित चाहते हैं.


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गुरु कभी भी अपने शिष्यों का अहित नहीं चाहते और न ही करते हैं.


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इसीलिए यदि उनके हृदय की भावना को व्यक्ति न समझ सके तो भी उनकी आलोचना नहीं करनी चाहिए.


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आलोचना का अर्थ व्यक्ति के दोषों को ढूंढना है. और अपने गुरुजनों में दोष ढूंढना मनुष्य की मूर्खता है.

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