5 लोगों का एक बहुत ही खूबसूरत परिवार था. बेटा, बहू, पोता-पोती और बुजुर्ग दादा जी. सभी खुशी-खुशी एक साथ रहते थे. ये परिवार हंसी खुशी समय बिताता और रोज़ाना एक रात को डिनर करता.
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ऐसे ही कई दिन बीत गए बुजुर्ग दादा जी और बूढ़े हो गए, अब उनके हाथ और पैर कमज़ोर हो चुके हैं. एक दिन वह अपने परिवार के साथ खाना खा रहे थे.
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कि अचानक उनके हाथ से कांच का कटोरा टूट गया, क्योंकि अब उनके इतना हिलने लगे थे कि वो कुछ नहीं संभाल करते थे.
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वो बुजुर्ग आदमी के हाथों से रोज़ाना डिनर के समय कटोरा छूट जाता और ऐसे उस घर में कई बर्तन टूट गए.
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अब उनके बेटा और बहू को इस बात से चिड़े से रहने लगे थे, तो बुजुर्ग पिता की ऐसी हालत देखे उनके बेटे ने एक लकड़ी का बाउल बनाया.
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ये बाउल उसके अपने बूढ़े पिता को दिया और घर में एक अलग कोने में उनकी डिनर टेबल बना दी, ताकि अगली बार से उनके कांपते हाथों से खाना गिरने से मूड खराब न हो.
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अपना लकड़ी का बाउल और कोने में दी गई टेबल से वो देख बुजुर्ग आदमी काफी रोया. वो जब-जब खाना खाता अपने परिवार को खुद से अलग देख उसकी आंख से आंसू गिरते.
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ऐसे ही एक दिन वो बुजुर्ग आदमी चल बसा और उसके परिवार ने उसे अलविदा कर दिया. लेकिन उसकी बहू वो लकड़ी का कटोरा ढूंढने लगी, ताकि वो उसे उनकी याद की तौर पर सजा सके.
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रात को खाना खाते वक्त उसने अपने बच्चों से उस कटोरे के बारे में पूछा तो उसके बेटी ने कहा कि दादा जी कटोरा उनके पास है और उन्हें एक और लकड़ी का कटोरा चाहिए.
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उस शख्स ने कहा कि अब दादा जी तो नहीं है तो दूसरा कटोरा किसके लिए चाहिए, तो इस उन दोनों बच्चों ने जवाब दिया जब आप दोनों बूढ़े हो जाएंगे तो हमें भी आपको ऐसे ही कटोरे में खाना देना होगा.
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ये सब सुन उसे अपनी गलती का अहसास हुआ, लेकिन अब काफी देर हो चुकी थी और पछतावे के अलावा कुछ नहीं था.
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Disclaimer - ये सभी काल्पनिक कहानियां हैं, इनका NDTV से कोई लेना-देना नहीं है.