Story created by Renu Chouhan

ऐसे लोगों का जीवन में कोई नहीं देता साथ

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चाणक्य नीति में एक वाक्य है 'पिशुन: श्रोता पुत्रदारैरपि त्यज्यते।।'

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इस वाक्य में चाणक्य ने ऐसे लोगों के बारे में बताया है जिन्हें परिवार का साथ कभी नहीं मिलता, यानी परिवार ही इन्हें त्याग देता है.

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इस वाक्य में लिखा है कि पिशुन यानी विश्वासघाती व्यक्ति को उसके पुत्र, स्त्री आदि परिवार के लोग भी त्याग देते हैं.

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सुनी हुई बातों के आधार पर लोगों में लड़ाई-झगड़े कराने वाले व्यक्ति को उसके परिवारवाले भी छोड़ देते हैं.


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ऐसा इसीलिए क्योंकि ऐसे व्यक्ति को न त्यागें तो आगे हमेशा आपसी विवाद की आशंका बनी रहती है.


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चाणक्य ने आगे कहा कि चुगलखोरी एक प्रकार का मानसिक पाप होता है, विश्वासघाती का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए.


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इतिहास में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जिन्होंने राष्ट्र के साथ विश्वासघात किया, सालों बाद भी उनका नाम घृणा से लिया जाता है.


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इसीलिए ये साफ है कि जो आदमी भरोसा तोड़ता है विश्वासघात करता है, वह हमेशा के लिए बदनाम हो जाता है.

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