Story created by Renu Chouhan
बिन बुलाए मेहमानों के लिए चाणक्य ने कही ये मज़ेदार बात
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बिन बुलाए मेहमान...इस 3 शब्दों से आप समझ गए होंगे कि हम किसके बारे में बात कर रहे हैं.
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यानी ये वो मेहमान हैं जो लोगों के घरों में बिना बुलाए या आमंत्रित किए पहुंच जाते हैं.
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ऐसे लोगों के लिए चाणक्य ने अपनी नीति में लिखा है "परगृहमकारणतो न प्रविशेत्".
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इस वाक्य ने चाणक्य में लिखा है कि बिना किसी कारण किसी दूसरे के घर में नहीं जाना चाहिए.
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आगे उन्होंने और लिखा कि बिना किसी कारण दूसरे के घर जाने से व्यक्ति का अपमान होता है.
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इसका एक अर्थ यह भी हो सकता है कि कानूनी अधिकार प्राप्त होने पर ही किसी दूसरे के घर में प्रवेश किया जा सकता है, वैसे नहीं.
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इसका आसान भाषा में अर्थ यही है कि जब तक आपको कोई न बुलाए तब किसी और के घर में नहीं जाना चाहिए.
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क्योंकि ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सम्मान मिल सकता है, बिना बताए जाने पर न तो इज्जत मिलती है और न ही खातिरदारी.
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