Story created by Renu Chouhan

'आपका बुरा करने वाला ही करता है आपसे मीठी बातें'

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ये बात चाणक्य ने अपनी नीति में कही है एक वाक्य के जरिए.

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इस वाक्य में लिखा है 'यस्य चाप्रियमिच्छेत तस्य ब्रूयात् सदा प्रियम्। व्याधो मृगवधं कर्तुं गीतं गायति सुस्वरम्।।'.

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 चाणक्य नीति में हिंदी में इसका अर्थ बताया है कि जिसका बुरा करने की इच्छा हो, उससे सदा मीठी बात करनी चाहिए...

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जैसे शिकारी हिरण को पकड़ने से पहले मीठी आवाज में गीत गाता है. या सांप को पकड़ने वाला मस्त होकर बीन बजाता है.


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इस श्लोक में एक सामान्य सांसारिक बात कही गई है, जो मन अपने पाप के कारण किसी का अहित चाहता है, वह पहले सदा मीठी-मीठी बातें करता है.


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इस प्रकार ये दोनों मधुर स्वर के आकर्षण में बंधकर शिकारी के पास खुद आ जाते हैं तो शिकारी उन्हें पकड़ लेता है.


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जब तक दूसरे में असुरक्षा की भावना है, उसके मर्मस्थल पर आघात नहीं किया जा सकता.


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चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट व्यक्ति अहित करने की इच्छा से मीठी-मीठी बातें करते हैं, ऐसा करके वे पहले रिझाते हैं फिर हानि पहुंचाते हैं.


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जुआरी पहले लाभ होने का लालच दिखाता है, जिससे भोलाभाला व्यक्ति उसके जाल में फंसकर बड़ी-सी रकम दांव में लगा देता है और अपनी हानि कर बैठता है.


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इसीलिए किसी की भी मीठी बातों में न फंसे, इसके बजाय अपने विवेक का इस्तेमाल करें.

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