Story created by Renu Chouhan
खाना दोगुना और बुद्धि चौगुनी...चाणक्य ने महिलाओं के लिए कही ये कमाल की बात
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चाणक्य नीति में एक श्लोक है 'स्त्रीणां द्विगुण आहारो बुद्धिस्तासां चतुर्गुणा। साहसं पड्गुणं चैव कामोष्टगुण उच्यते।।'.
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इस श्लोक में चाणक्य ने महिलाओं के ऐसे खास पक्षों के बारे में बताया जिन पर सामान्य लोगों की नज़र नहीं जाती.
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उन्होंने बताया पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का आहार दोगुना होता है, बुद्धि चौगुनी, साहस छह गुना और कामवासना आठ गुना होती है.
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खाने की आवश्यकता स्त्री को पुरुष की अपेक्षा ज्यादा होती है क्योंकि उन्हें पुरुषों के मुकाबले ज्यादा शारीरिक कार्य करना पड़ता है.
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जैसे घर के कई ऐसे छोटे-बड़े काम जिनमें ऊर्जा ज्यादा लगती है. इसके अलावा शारीरिक बनावट, उसमें होने वाले परिवर्तन और प्रजनन आदि कार्यो में भी ऊर्जा ज्यादा लगती है.
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इसी वजह से महिलाओं को ज्यादा पौष्टिकता की आवश्यकता होती है. लेकिन इसके विपरीत बालिकाओं और स्त्रियों को कुपोषण का शिकार होना पड़ता है.
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वहीं, स्त्रियों की बुद्धि अधिक पैनी होती है, क्योंकि उन्हें परिवार के सदस्यों के साथ-साथ बाकी लोगों से व्यवहार करना पड़ता है.
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साहस की बात करें तो स्त्रियां अपनी संतान की रक्षा के लिए कई गुना बलशाली के सामने लड़-मरने के लिए डट जाती हैं.
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और आखिर में स्त्री में कामवासना आठ गुना ज्यादा होती है, लेकिन पुरुषों से भिन्न है. यहां शरीर नहीं भावदशा महत्वपूर्ण है.
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