Story created by Renu Chouhan
                            
            
                            प्यार में दुख क्यों मिलता है? चाणक्य ने बताया
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
                            Image Credit: Openart
                            
            
                            
                            
            
                            आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़े हर एक पहलु पर अपनी नीति के जरिए ज्ञान दिया है.
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
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                            चाहे वो बुद्धि का सही उपयोग करना हो या फिर शक्ति का, आचार्य की नीति में सबकुछ मौजूद है.
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
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                            इसी चाणक्य नीति में एक वाक्य है "यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुखस्य भाजनम्। स्नेहमूलानि दुखानि तानि त्यक्त्वा वसेत्सुखम्।।"
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
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                            चाणक्य ने अपने इस वाक्य में प्रेम के बारे में बताया है, साथ ही उन्होंने लिखा है कैसे प्रेम की वजह से ही जीवन में दुख है.
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
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                            उन्होंने लिखा है कि जिसका किसी के प्रति स्नेह अथवा प्रेम होता है, उसी से उसको भय भी होता है. 
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
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                            स्नेह अथवा प्रेम ही दुख का आधार है, स्नेह ही सारे दुखों का मूल कारण है. 
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
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                            इसीलिए उन स्नेह बंधनों को त्यागकर सुखपूर्वक रहने का प्रयत्न करना चाहिए.
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
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                            यानी चाणक्य के कहने का अर्थ है कि जिन संबंधों से दुख मिले, उन्हें छोड़ देना चाहिए.
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
                            
                            
            
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                            इसके बाद अपने जिंदगी को सुख से जीने का प्रयत्न करना चाहिए.
                            
          
         
                                   
                                         
      
      
      
      
      
      
         
         
            
         
         
         
            
                            
                            
            
            
                            और देखें
                            
            
                            
                            
            
                            हमें हिचकी क्यों आती है?
                            
            
                            
                            
            
                            1 लकड़ी का कटोरा और बूढ़ा आदमी
                            
            
                            
                            
            
                            जापानी लोगों की ये 7 आदतें, बदल देंगी आपकी जिंदगी
                            
            
                            
                            
            
                            ज्यादा सोचने के क्या नुकसान होता है?
                            
          
         
                                   
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