शेर कैसे बना मां दुर्गा की सवारी
इस बार चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरु होगी और 7 अप्रैल को समाप्त होगी.
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नवरात्रि के नौ दिन भक्त पूरे श्रद्धा भाव से माता के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं.
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मां दुर्गा को उनके भक्त शेरावली भी पुकारते हैं. क्योंकि मां दुर्गा शेर पर सवार रहती हैं.
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क्या आप जानते है कि शेर माता की सवारी कैसे बना. इसकी एक पौराणिक कथा है.
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पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया.
तप करने की वजह से उनका रंग सांवला हो गया. एक बार मजाक में महादेव ने कहा कि देवी आप तो काली हैं.
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माता पार्वती भगवान की इस बात से रुष्ट हो गईं और कैलाश पर्वत छोड़कर जंगल में चली गईं.
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माता पार्वती फिर तपस्या करने लगीं. माता की तपस्या के दौरान एक शेर उनके पास पहुंचा.
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वो मां पार्वती का शिकार करने पहुंचा था, लेकिन माता तपस्या में लीन थीं. शेर वहीं बैठ गया.
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जब भगवान शिव प्रसन्न हुए और मां पार्वती को मां गौरी होने का वरदन दिया, तो माता का ये स्वरूप महागौरी कहलाया.
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तब माता ने देखा कि वो शेर वर्षों से वहां भूखा-प्यासा बैठा था. माता ने उसे तपस्या का फल देते हुए अपनी सवारी बना लिया.
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