होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. 24 मार्च, रविवार को फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात होलिका जलाई जाएगी.
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भद्रा के साये के चलते होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्राकाल के बाद है. भद्राकाल को शुभ समय नहीं माना जाता है और इस समय में पूजा से परहेज किया जाता है.
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आज भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. ऐसे में आज रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद होलिका दहन किया जा सकेगा.
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होलिका दहन के दिन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है. होलिका दहन के दिन सूर्यास्त के बाद होलिका जलाई जाती है और शुभ मंत्रों का जाप किया जाता है.
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होलिका दहन के दौरान पारंपरिक गीत गाने की भी परंपरा है. हफ्तों पहले से ही गली के चौराहे पर लकड़ी, भूसे और कंडे से होलिका तैयार की जाती है, यह लकड़ियों का ऊंचा लंबा ढेर होता है.
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होलिका दहन के दिन होलिका में आग लगाई जाती है और होलिका की अग्नि में रोली, चावल के दाने, कच्चा सूत, नारियल और गुलाल आदि चढ़ाए जाते हैं.
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