आखिर कहां चली गई चहचहाती गौरेया?

Story created by Renu Chouhan

20/03/2025

आपको अपने बचपन में याद होगा कि कबूतरों से ज्यादा गौरेया को पेड़ों और आस-पास चहकते हुए देखा होगा. लेकिन आज के वक्त में ये सुंदर पक्षी न के बराबर दिखता है. कभी सोचा है क्यों?

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आखिर ये सभी गौरेया कहां चली गईं? न गांव और न शहर...ये अब बहुत ही कम क्यों दिखाई देती हैं?

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आपको बता दें कि गौरेया के कम होने के एक नहीं बल्कि अनेक कारण हैं, जैसे:-

1. शहरीकरण - ऊंची-ऊंची इमारतों और सीमेंट के घरों में ये चिड़ियां अपना घोसला नहीं बना पाती, इसीलिए शहरों में नहीं दिखती.

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2. खाना नहीं मिलता - गौरेया अपने बच्चों को कीड़े खिलाती है, और खुद अनाज, बीज, फल आदि भी खाती है. शहरों में मिट्टी कम इसीलिए कीड़े भी कम.

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3. प्रदूषण - गौरेया भी इंसानों की तरह स्वच्छ वातावरण में ही लंबे समय तक जिंदा रह पाती है, लेकिन अब प्रदूषण का कोई अंत नहीं.

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4. मोबाइल टावर- जी हां, मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन भी गौरैया के लिए हानिकारक होता है, जिससे यह जल्दी मर जाती हैं.

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5. कीटनाशक - खेती में कीटनाशकों के उपयोग से कीड़ों की संख्या में कमी हुई, जिस वजह से गौरेया अपने बच्चों के लिए पर्याप्त खाना इकट्ठा नहीं कर पाती. इस वजह से भी इनकी संख्या कम होती जा रही है.

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6. पेड़ों की कमी - शहरों में पेड़ों की कमी की वजह से गौरेया अपना घोंसला नहीं बना पाती, क्योंकि एक पेड़ मौजूद बाकी पक्षी भी इन्हें मार देते हैं.

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