Story created by Renu Chouhan
आसमान नीले रंग का ही क्यों होता है?
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आपने कभी सोचा है कि आखिर आसमान या कहें आकाश नीले रंग का ही क्यों होता है?
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सुबह से लेकर सूरज ढलने तक ये नीला रहता है, लेकिन चंद्रमा के आते ही ये नीला आसमान काला क्यों हो जाता है?
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चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे का साइंस, कि आखिर ये आसमान नीला ही क्यों होता है.
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तो आसमान के नीले होने का कनेक्शन सूर्य की रोशनी से है. दरअसल, सूर्य की किरणें अपने रंगों का मिश्रण होती हैं. ये वही रंग हैं जिन्हें हम इंद्रधनुष में देख सकते हैं.
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भोर सुबह जब सूरज उगता है तो इसकी रोशनी वायुमंडल में मौजूद गैस के अणुओं से टकराती है.
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सूरज की रोशनी का वायुमंडल में मौजूद गैस से टकराने की प्रक्रिया को 'प्रकाश का प्रकीर्णन' अंग्रेजी में स्कैटरिंग ऑफ लाइट कहते हैं.
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और नीले रंग के प्रकाश की वेवलेंथ बाकी रंगों से छोटी होती है. इसी वजह से आसमान नीले रंग का हो जाता है.
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वहीं, शाम होते-होते जैसे ही सूरज की गर्मी कम होती जाती है तो नीले रंग की वेवलेंथ बढ़ जाती है. जिस वजह से वो सूरज में मौजूद बाकि इंद्रधनुषी रंगों जैसे नारंगी, लाल और पीला में छिप जाता है.
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इसी वजह से सूर्यास्त के दौरान आसमान लाल, पीला या फिर नारंगी दिखने लगता है.
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वहीं, चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं होता, इसी वजह से चांद पर प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता और आकाश का रंग काला दिखाई देता है.
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