21 जून को सबसे बड़ा दिन क्यों होता है?
Story created by Renu Chouhan
21/06/2024 हर साल 21 जून के दिन सबसे बड़ा दिन होता है और सबसे छोटी रात, चलिए जानते हैं आखिर ऐसा होता क्यों है?
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इस घटना को खगोलीय भाषा में सॉलस्टिस कहते हैं, जिसका आम भाषा में मतलब है 'सूरज का रुकना'.
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लेकिन उससे पहले ग्रीष्म संक्रांति को समझिए जो हर साल 20 से 22 जून के बीच में पड़ती है.
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21 जून से ही सूरज की किरणें पृथ्वी पर सीधी पर पड़ती है, जिससे मौसम गर्म हो जाता है. इसीलिए इसे ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं.
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दरअसल, पृथ्वी के बीचोंबीच से एक काल्पनिक रेखा इसे दो भागों में डिवाइड करती है. इसके ऊपरी हिस्से को नॉर्थ हेमिस्फीयर और निचले हिस्से को साउथ हेमिस्फीयर कहते हैं.
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भारत नॉर्थ हेमिस्फीयर में आता है, और जून संक्राति के दिन ही नॉर्थ हेमिस्फीयर सूर्य की ओर ज्यादा झुकता है.
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इसी वजह से नॉर्थ हेमिस्फीयर पर सूरज की रोशनी ज्यादा देर तक पड़ती है, इसी वजह से दिन लंबा हो जाता है और रात छोटी.
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21 जून के बाद करीब 21 सितंबर तक दिन और रात दोनों फिर से बराबर हो जाते हैं. इस दिन के बाद से रातें लंबी होने लग जाती है.
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क्योंकि 21 सिंतबर के बाद सूरज नॉर्थ से साउथ हेमिस्फीयर की ओर चला जाता है. इसीलिए सर्दियों में धूप कम समय के लिए आती है.
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