Story created by Renu Chouhan

ये लोग कहलाते हैं असली विद्वान

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चाणक़्य नीति में एक श्लोक है "प्रस्तावसदृशं वाक्यं प्रभावसदृशं प्रियम्। आत्मशक्तिसमं कोपं यो जानाति स पंडित:।।".

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इस श्लोक में चाणक्य ने बताया कि आखिर इस दुनिया में असली विद्वान या समझदार इंसान कौन होता है.

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आचार्य के मुताबिक जो अवसर के अनुकूल बात करना जानता है, जो अपने यश और गरिमा के अनुकूल मधुर-भाषण कर सकता है...


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और जो अपनी शक्ति के अनुसार क्रोध करता है, उसी को वास्तव में विद्वान कहा जाता है.


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व्यक्ति को अवसर के अनुकूल ही वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए.


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अवसर के समय इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि इससे प्रतिष्ठा बढ़ेगी या घटेगी.


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जो व्यक्ति समय के अनुकूल बात नहीं करता, जिसे अपने मान-अपमान का कोई ज्ञान नहीं या जो प्रिय भाषण अथवा मधुर-भाषण करना नहीं जानता, वह मूर्ख है.


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जो व्यक्ति समय के अनुरूप बात करता है, अपनी शक्ति के अनुसार क्रोध करता है, वही पंडित या सब कुछ जानने वाला विद्वान है.


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यानी चाणक्य ऐसे व्यक्ति को विद्वान माना है जो सिचुएशन को समझकर बोले.


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क्योंकि गलत जगह पर गलत बोलने वाला मूर्ख ही कहलाता है.

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