Story created by Renu Chouhan

संसार एक कड़वा वृक्ष, इसके ये दो फल अमृत से मीठे...क्या है चाणक्य का मतलब?

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आचार्य चाणक्य ने जीवन के बारे में अच्छी और काफी गहरी बातें अपनी नीति में लिखी हैं.

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जैसे कि एक ये श्लोक 'संसारविषवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपनमे। सुभाषितं च सुस्वादु संगति: सुजने जने।।'.

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चाणक्य ने इस श्लोक में बताया कि संसार एक कड़वा वृक्ष है, इसके दो फल ही अमृत जैसे मीठे होते हैं.


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पहला मधुर वाणी और दूसरा सज्जनों की संगति.


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यानी जो व्यक्ति मधुर वाणी का प्रयोग करता है वह शत्रुओं को भी जीत लेता है.


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और दूसरी है मधुर संगति, सज्जनों की संगति अर्थात मनुष्यों को मधुर प्रिय वचन बोलने और सज्जनों की संगति में कभी हिचकिचाना नहीं चाहिए.


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क्योंकि इन दोनों के अलावा संसार में बाकी सबकुछ कड़वा ही है.


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इसीलिए अच्छा बोलें और अच्छे लोगों के साथ रहें.

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