27/03/2025

Story Created By: Shikha Sharma

मिर्जा गालिब के वो शेर, जो आज भी हर दिल पर करते हैं राज

कम शब्दों में गहरी बात कहनी अगर सीखना है, तो उर्दू के दिग्गज शायर मिर्जा गालिब का कोई जवाब नहीं है. 

आइए आज आपको मिर्जा गालिब के चुनिंदा शेरों के बारे में बताते हैं.

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इश्क से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया, 
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया

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इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब',
 कि लगाए न लगे और बुझाए न बने 

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इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के

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अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा,
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा

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आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी,
अब किसी बात पर नहीं आती

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आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक, कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

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आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद,
मुझ से मिरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न मांग

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