कुंभ के दौरान क्या होता है कल्पवास?
Story created by Renu Chouhan
12/01/2024 13 जवनरी से दुनिया का सबसे विशाल आध्यात्मिक मेला शुरू हो रहा है, क्योंकि महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. इसके अलावा सभी साधु-संत, नागा और अघोरी आदि भी इस महाकुंभ में शामिल हो रहे हैं.
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सभी धूमधाम, गाजे-बाजे के साथ संगम में प्रवेश कर रहे हैं. इसी के साथ संतों जैसे जीवन का अनुभव लेने विदेशों से भी भक्त पहुंचे हैं. जैसे एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन जॉब्स भी महाकुंभ में कल्पवास के लिए पहुंच रही हैं.
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आज यहां जानिए कि आखिर ये कल्पवास होता क्या है?
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दरअसल, कुंभ के दौरान कल्पवास यानी संगम पर माघ महीने के दौरान की साधना. ये साधना कम से कम 1 रात की हो सकती है.
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1 रात के अलावा कल्पवास 3 रात, 3 महीना, 6 महीना, 6 साल, 12 साल या फिर जीवनभर का भी हो सकता है.
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मान्यता है कि पुराण के अनुसार एक कल्पवास का फल उतना ही है, जितना सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने से मिलता है.
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इसीलिए महाकुंभ के दौरान साधु-संतों के साथ आम लो भी कल्पवास करते हैं. ये कल्पवास 13 जवनरी यानी माघ महीने से शुरू हो जाएगा.
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बता दें, कि कल्पवास के नियम काफी कठोर होते हैं जैसे इसमें पूरे दिन में 1 बार भोजन और 3 वक्त (भोर, दोपहर औऱ शाम) को गंगा स्नान करना होता है.
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दिन में 1 बार भोजन और 1 बार फलाहार कल्पवास के दौरान लिया जा सकता है. लेकिन इस खाने में लहसुन, प्याज और अरहर की दाल नहीं होती है.
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