इस पेड़ के दर्शन के बिना अधूरा है कुंभ!

Story created by Renu Chouhan

09/01/2024

जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. इस पेड़ के दर्शन के बिना कुंभ की यात्रा अधूरी मानी जाती है.

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क्योंकि इस पेड़ का संबंध रामायण से है. इसी वजह से ये पेड़ 5 हज़ार सालों से भी पुराना है.

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इस पेड़ का नाम है अक्षयवट. जो मौजूद है प्रयागराज किले के अंदर.

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इस पेड़ को लेकर मान्यता है कि भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान इसी पेड़ के नीचे आराम किया था.

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इसीलिए यहां पेड़ के पास भगवान राम का मंदिर बनाया गया है, जिसे पातालपुरी मंदिर कहा जाता है.

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पातालपुरी मंदिर भारत के सबसे पुराने मन्दिरों में से एक है, क्योंकि इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है.

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इसी मान्यता के चलते कुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालु एक पेड़ का दर्शन करने जरूर आते हैं.

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5 हज़ार सालों से भी ज्यादा पुराने होने की वजह से इस पेड़ को अमर वृक्ष भी कहा जाता है.

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यही नहीं बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग और पुरातत्त्वविद्, अलेक्जेंडर, कनिंघम जैसे इतिहासकारों और यात्रियों ने भी अक्षयवट पेड़ के बारे बहुत विस्तार से अपने लिखा है.

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आपको बता दें अक्षयवट का शाब्दिक अर्थ होता है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो और वट का बड़ का पेड़ (बरगद). इस प्रकार अक्षयवट का पूर्ण अर्थ होता है, कभी न नाश होने वाला बरगद का पेड़.

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