Story created by Renu Chouhan
चाणक्य ने बताया क्यों मनुष्य को कभी सीधा नहीं होना चाहिए
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चाणक्य के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को कभी भी बहुत सीधा नहीं होना चाहिए.
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उन्होंने अपनी नीति में एक श्लोक लिखा है 'नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा श्य वनस्थलीम्। छिद्घन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपा:।।'.
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इस श्लोक में चाणक्य ने लिखा है कि मनुष्य को अत्यन्त सरल और सीधा भी नहीं होना चाहिए. वन में जाकर देखो, सीधे वृक्ष काट दिए जाते हैं और टेढ़े-मेढ़े गांठों वाले वृक्ष खड़े रहते हैं.
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आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को अत्यन्त सरल और सीधे-स्वभाव का भी नहीं होना चाहिए.
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इससे उसे सब लोग दुर्बल और मूर्ख मानने लगते हैं. हर समय कष्ट देने का प्रयत्न करते हैं.
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सीधा-सादा व्यक्ति प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुगम होता है जबकि टेढ़े व्यक्ति से सब बचने की कोशिश करते हैं.
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यानी सीधे और सरल व्यक्ति का हमेशा दुरुपयोग ही होगा.
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इसीलिए कोशिश करें कि चतुर बनें और अपने कामों में आगे बढ़ें.
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