Story created by Renu Chouhan
 चाणक्य ने बताया कैसा व्यक्ति जीवनभर रहता है गरीब 
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  चाणक्य ने अपनी नीति में कर्म और धर्म को बहुत महत्व देकर समझाया है.
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  उनके मुताबिक मनुष्य का धर्म ही अपने कर्म को करते रहना है.
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  लेकिन इसी के साथ उन्होंने बहुत सी और भी बातें मनुष्यों के कर्मों के बारे में कही हैं.
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  जैसे उनकी नीति में एक वाक्य है 'भाग्यवन्तमपरीक्ष्यकारिणं श्री: परित्यजति'.
             
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  इसका अर्थ चाणक्य ने बताया कि सफलता का अवसर पहचाने बिना कार्य प्रारंभ करने वाला व्यक्ति लक्ष्मी रहित हो जाता है यानी लक्ष्मी उसे छोड़ जाती है.
             
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  व्यक्ति भले ही अपने आपको भाग्यवान् समझता हो परंतु यदि वह समय को पहचाने बिना...
             
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  भली प्रकार जांच किए बिना कार्य प्रारंभ करता है तो उसे सफलता प्राप्त नहीं होती.
             
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  इसीलिए कोई भी काम करने से पहले अच्छे से जांच लें कि भविष्य में इसके क्या अवसर हैं.
             
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  जो ये व्यक्ति करता है उसी को लक्ष्मी प्राप्त होती है.
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