Story created by Renu Chouhan

चाणक्य ने बताया आखिर कौन होता है असली दोस्त

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इस बात में कोई शक नहीं कि परिवार से ज्यादा दोस्तों के साथ हमारा रिश्ता गहरा होता है.

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क्योंकि हम जितनी खुलकर बात अपने दोस्तों से कर लेते हैं उतना किसी और से नहीं कर सकते.

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लेकिन क्या वो आपका असली दोस्त है या नहीं? अगर न समझ आए तो चाणक्य नीति में दिए एक वाक्य को पढ़ें.

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चाणक्य नीति में वाक्य है "आपत्सु स्नेहसंयुक्तं मित्रम्".


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यानी विपत्ति के दिनों में जब सारा संसार विपत्ति में फंसे हुए व्यक्ति को अकेला छोड़ देता है उस समय सहानुभूति रखनेवाला व्यक्ति ही मित्र कहलाता है.


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आगे चाणक्य ने यह भी लिखा कि जिनके पास भी सच्चे दोस्त होते हैं वह खुद को बहुत ही बलवान महसूस करते हैं.


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यानी 'मित्रसंग्रहणे बलं सम्पद्घते', इस वाक्य में चाणक्य ने बताया कि मनुष्य सच्चे मित्रों के कारण अपने को बलवान अनुभव करता है.

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