Story created by Renu Chouhan

सच्चा प्यार करने वालों के दिल को छू जाएगी चाणक्य की ये बात

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चाणक्य नीति में ज्यादातर बातें जीवन को सही तरीके से जीने के बारे में बताई गई हैं.

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इस किताब में प्यार और उससे जुड़ी बहुत ही कम बातें आपको देखने को मिलेंगी.

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लेकिन चाणक्य ने अपनी नीति में एक श्लोक लिखा है "दूरस्थोपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थित:। यो यस्य हृदये नास्ति समीपस्थोपि दूरत:।।".

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इसका अर्थ चाणक्य ने लिखा कि जो जिसके हृदय में बसा हुआ है, वह यदि बहुत दूर है तो भी उसे दूर नहीं कहा जा सकता...


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और जो जिसके हृदय में समाया हुआ नहीं है, वह बहुत निकट रहने पर भी दूर प्रतीत होता है.


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यानी जिन लोगों में सच्चा प्रेम है, वे यदि एक-दूसरे से बहुत दूर रहते हैं, तो भी उन्हें दूर नहीं मानना चाहिए.


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लेकिन जिसने किसी के दिल में घर नहीं किया, वह पास रहने से भी दूर रहता है.


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चाणक्य के अनुसार, सच्चे प्रेम में दूरी का कोई महत्व नहीं है.

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