Created By: Ritika Choudhary


किन बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है 

स्पेस में रहने से

हाल ही में एस्ट्रोनॉट्स सुनिता विलियम्स ने सकुशल वापसी की है. अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी और रेडिएशन धरती की तुलना में कई गुना अधिक होता है, जिसका सीधा असर शरीर पर पड़ता है.

स्पेस में रहने से मांसपेशियाँ सिकुड़ने लगती हैं. हर महीने 1% मांसपेशियों का नुकसान होता है. वापस आने के बाद रिकवरी में समय लगता है.

मांसपेशियों पर असर 


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अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने से बोन डेंसिटी कम हो जाती है. हर महीने बोन डेंसिटी 1 प्रतिशत घट जाती है. इससे हड्डियों की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. 

हड्डियों का नुकसान

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अंतरिक्ष यात्री 20% शरीर का तरल और 5% वजन खो देते हैं. यानी कि उनका फ्लुइड बैलेंस गड़बड़ होने लगता है. वापस लौटने पर शरीर में असंतुलन की समस्या हो सकती है. 

तरल पदार्थ और वजन घटता है 

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स्पेस में रहने से त्वचा पतली हो जाती है, जिसके कारण त्वचा फटने लग जाती है. इसे ठीक होने में समय लग सकता है.

त्वचा पर असर 

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स्पेस मे मौजूद माइक्रोग्रैविटी विजन पर असर डाल सकती है. वापस लौटने पर आंखों की रिकवरी होती है.

आंखों पर असर 

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. अधि‍क जानकारी के लिए विशेषज्ञ से सलाह लें.

नोट

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