राम से जुड़ी दीवाली लेकिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा क्यों?

Story created by Renu Chouhan

26/10/2024

हमें किताबों में यही बताया जाता है कि भगवान राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस आए थे, इसीलिए दीवाली मनाई जाती है.

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लेकिन आपने कभी सोचा है कि इस दिन फिर भगवान राम की पूजा की बजाय लक्ष्मी गणेश की पूजा क्यों होती है?

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हिंदू मान्यता में हर त्यौहार के पीछे अनेकों कारण और कथाएं मौजूद होती हैं. लेकिन दीवाली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजन की वजह बता रही हैं सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर जय मदान.

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भगवान राम, सीता और भाई लक्ष्मण के अयोध्या से जाने के साथ ही वहां से सुख, समृ्द्धि और संपन्नता भी चली गई.

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लेकिन जब वो वापस लौटे तो सब कुछ वापस आ गया और इस खुशी में, स्वागत में घरों को दीपों से सजाया गया.

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भगवान राम की वापसी ने वह संपन्नता, सौभाग्य और आनंद लौटाया जो मां लक्ष्मी से संबंधित हैं, और इसीलिए दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

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इसके अलावा दिवाली उस समय आती है जब भगवान विष्णु विश्राम में होते हैं और भगवान राम विष्णु जी के अवतार हैं. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद जागते हैं. इसीलिए, दिवाली पर लक्ष्मी जी, भगवान विष्णु (श्री राम) का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनकी पूजा की जाती है.

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माता लक्ष्मी धन और संपदा की देवी हैं, जबकि श्रीगणेश को बुद्धि और विवेक का स्वामी माना जाता है. बिना बुद्धि और विवेक के धन-संपत्ति प्राप्त करना कठिन होता है.

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मां लक्ष्मी का जन्म जल से हुआ था, और जैसे जल हमेशा गतिशील रहता है, उसी प्रकार लक्ष्मी भी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहतीं. लक्ष्मी को स्थायित्व देने के लिए बुद्धि और विवेक की आवश्यकता होती है.

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इसलिए दिवाली के पूजन में लक्ष्मी के साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है, ताकि धन और बुद्धि का संतुलन बना रहे.

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