दीवाली पर क्यों खरीदी जाती है लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति?

Story created by Renu Chouhan

26/10/2024

आपने अक्सर देखा होगा कि हर घर में दीवाली के दौरान लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्तियां खरीदी जाती हैं.

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लेकिन कभी सोचा है कि आखिर हर साल नई मूर्ति क्यों? जबकि हमारे घरों के मंदिर में भगवान सालों-साल यूं ही बने रहते हैं.

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इसके बारे में डिटेल में बता रही हैं सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर जय मदान.

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उन्होंने बताया कि दिवाली को हिंदू धर्म में एक नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन धन और समृद्धि की देवी, मां लक्ष्मी, का पूजन किया जाता है.

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भगवान गणेश, जिन्हें बुद्धि और शुभता के देवता माना जाता है, बाधाओं से मुक्ति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

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प्राचीन काल में मिट्टी से बनी मूर्तियों से पूजा का अधिक प्रचलन था, जो साल भर में खंडित हो जाया करती थीं.

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दिवाली के शुभ अवसर पर पुरानी मूर्तियों का विसर्जन कर नई मूर्तियां लाई जाती थीं. इस परंपरा से दिवाली पर हर साल नई मूर्तियां खरीदने की रीति शुरू हो गई.

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आज भी दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की मिट्टी से बनी नई मूर्तियां खरीदी जाती हैं.

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सोने, चांदी या पीतल जैसी धातुओं से बनी मूर्तियों को हर साल बदलने की आवश्यकता नहीं होती है.

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दिवाली पर नई मूर्तियां खरीदने की यह परंपरा को लोग अपने घर की नई शुरुआत, व्यापार में वृद्धि और आर्थिक उन्नति का प्रतीक मानते हैं.

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