Created By - Subhashini Tripathi

यहां जानिए कुंभ मेले के पीछे की पौराणिक कहानी

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ मेले की शुरूआत अनादि काल से हुई है.

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वैदिक ग्रंथों में इसका प्रमाण समुंद्र मंथन के रूप में मिलता है.

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यह मंथन देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर हुई थी, जिसमें जीत देवताओं की हुई थी.

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कहा जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर युद्ध पूरे 12 दिन तक चला था.

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ऐसी मान्यता है कि सागर मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदे पृथ्वी पर 4 स्थानों पर गिरी थीं, जिसमें प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक शामिल है. 

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यही कारण है कि हर 12 साल में इन 4 स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. 

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इस साल महाकुंभ मेले का आयोजन 12 साल बाद प्रयागराज में किया जा रहा है. 

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इस साल महाकुंभ पौष पूर्णिमा यानी 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन होगा.

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इस दौरान देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक संगम में शामिल होंगे. 

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