बाबर हिंदुस्तान आने पर आखिर क्यों हुआ मजबूर, क्या थी वो वजह? 

Story created by Renu Chouhan

19/07/2024

मुगलों का पहला बादशाह बाबर वर्ष 1504 तक काबुल जीत चुका था, इस वक्त वो सिर्फ 22 वर्ष की था.

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अब तक वो कई युद्ध जीत और हार चुका था, आस-पास मौजूद राज्यों में उसका अच्छा दबदबा था, लेकिन अभी भी मध्य एशिया बहुत दूर था.

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बाबर ने खुद कहा कि काबुल की विजय से पानीपत जीत तक "मैंने हिंदुस्तान को जीतने के बारे में सोचना कभी नहीं छोड़ा, बस तलाश थी तो सही अवसर की".

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और बाबर की भारत को जीतने की ललक इसीलिए थी, क्योंकि उसने यहां मौजूद सोना-चांदी और दौलत देख ली थी.

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क्योंकि बाबर का पूर्वज तैमूर ने उस समय के पंजाब के कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था.

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यहां से जीतकर तैमूर अपने साथ बेपनाह दौलत, खज़ाना और कुशल दस्ताकार ले गया था.

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इनसे तैमूर ने अपने एशिया साम्राज्य का विस्तार किया, और वही बाबर ने देखा.

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बाबर को समझ आ गया था कि भारत असली सोने की चिड़िया है जहां अपना कब्जा जमाकर ही वो अमीर हो पाएगा.

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इसके अलावा बाबर द्वारा भारत जीतने की वजह यह भी थी कि उसे अपनी फौज बढ़ानी थी. क्योंकि काबुल, बदख्शा और कंदहार से उसे कुछ नहीं मिल रहा था.

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वो न तो अपने सैनिको को और न ही अपने परिवार को पर्याप्त सुख-सुविधा दे पा रहा था, साथ ही उसे डर था कि उज़बेक उस पर कभी भी हमला कर सकता था.

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इन्हीं कुछ कारणों की वजह से बाबर को हिंदुस्तान पर अपना कब्जा जमाना जरूरी लगने लगा था.

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