Story created by Renu Chouhan
कौन है आपका असली मददगार?
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चाणक्य नीति में आचार्य का एक वाक्य है "सहाय: समदु: खसुख:".
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इस वाक्य में चाणक्य ने बताया कि आप अपने असली मददगार को कैसे पहचान सकते हैं.
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उनके मुताबिक सुख-दुख आदि दोनों स्थितियों में जो मंत्री राजा से पूर्ण मेल रखकर उसकी सहायता करता है, उसे ही वास्तविक मददगार कहते हैं.
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चाणक्य के मुताबिक सुख और दुख जीवन की दो परिस्थितियां हैं.
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दोनों स्थितियों में जो एक-सा विचार रखता हुआ सहायता करता है, उस व्यक्ति को ही वास्तविक सहायक माना जाता है.
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सामान्य रूप से प्राय: देखने में यह आता है कि सुख में तो बहुत से साथी हो जाते हैं. लेकिन दुख में साथ देने वाले बहुत कम व्यक्ति होते हैं.
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तब उसके सगे-संबंधी और यहां तक कि पत्नी भी उसका साथ छोड़ देती है.
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लेकिन तो सुख-दुख में समान भाव रखते हैं, व्यक्ति को उन्हें ही अपना सच्चा सहायक और हितैषी मानना चाहिए.
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